शब्द बेमिसाल
शब्द हैं बेमिसाल।
बिगड़ी को बनाना और बनती को बिगाड़ना , कोई इनसे सीखे ।फ़ितरत है, बहते रहने की,
पर बांध बनाना भी कोई इनसे सीखे ।
शब्द हैं बेमिसाल।
प्यार का इजहार हो या नफरत का बम- गोले ,
कितना मीठा, कितना कड़वा,
चख- चख कर, हमने बोलना सीखा।
दिल-दिमाग का तालमेल हो,
जब मुँह से निकले शब्द,
संतुलन के बोझ तले,
दबी हुई कोई नब्ज ।
सोच कर भी दिन - रात,
ना मिले सही शब्द,
चुप्पी का घोल बनाकर पी जाना ही बेहतर।
मिजाज का आदान-प्रदान करते हैं शब्द,
बोलिये सम्भालकर,
न जाने कब,कौन जाए बिगड़।
शब्दों की भीड़ में ढूंढ लीजिए एहसास,
कलम से सजी हो कहानी या उपन्यास।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteWah kya baaat
ReplyDeleteSach mein...shabd h bemisaal..👍
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है
ReplyDelete