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भाषा का जश्न

भाषा को चाहिए शुभकामनाएं भरपूर, जब  बोली ही हो जाए काम चलाऊ, जब नन्ही सी  emoji कह  दे सारे दिल का हाल, जब हाथ  की अंगुलियां ही जता दें खुशी, गम और गुबार, सच है भाषा डोल रही, हांफ रही, बचा रही अपनी पहचान, जब कहने को बहुत कुछ नहीं, क्यूँ करे कोइ पढ़ने, सुनने का भी प्रयास, हाँ, वो भाषा ही थी जो  करा देती  सबका मेल मिलाप, जब आया दौर दूरीयो का, सिकुड़ गए बोल और घट गई शब्दों की कतार।