संकल्प
भूल न जायें संकल्प, जो है दृढ़,
परिस्थिति की हलचल, है निश्चित ,डरना , हिचकना, तड़पना, है एक थैली में,
ढोना चाहो , या पटकना, है चुनाव अपने पाले में।
संकल्प की स्याही गहराती जाए,
जब बार बार गिरना, फिर उठ कर संभालना,
फितरत ही बन जाए।
भूल न जायें संकल्प, जो है दृढ़,
परिस्थिति की हलचल, है निश्चित ,
न छोटा, न बड़ा , अहम है नियत,
नेकी व कर्म के मिश्रण की फुहार,
कर दे आसान हर संकल्प।
भूल न जायें वो संकल्प, जो है दृढ़,
परिस्थिति की हलचल, है निश्चित ,
आज भी , कल भी,
विचारों के रस का लेकर अर्क,
बुनै नए संकल्प ।
Bahut khoobsurat ,,, apne hi Sankalp se apna jivan banta hai ,,,
ReplyDeleteKamaal ....🙂
ReplyDeleteसुंदर कविता
ReplyDeleteVery good effort. Keep it up and write more.
ReplyDeleteVery well said ..keep it up 👍
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