संकल्प

 भूल न जायें संकल्प, जो है दृढ़,

परिस्थिति की हलचल, है निश्चित ,

डरना , हिचकना, तड़पना, है एक थैली में,
ढोना चाहो , या पटकना, है चुनाव अपने पाले में।

संकल्प की स्याही गहराती जाए,
जब बार बार गिरना,  फिर उठ कर संभालना,
फितरत ही  बन जाए।

भूल न जायें संकल्प,  जो है दृढ़,
परिस्थिति की हलचल, है निश्चित ,

न छोटा, न बड़ा , अहम है नियत,
नेकी व कर्म के मिश्रण की फुहार,
कर दे आसान हर संकल्प।

भूल न जायें वो  संकल्प, जो है दृढ़,
परिस्थिति की हलचल, है निश्चित ,

आज भी , कल भी,
विचारों के रस का लेकर अर्क,
बुनै नए संकल्प ।

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